किसी भी महिला के लिए प्रेगनेंसी का समय बहुत ही खुशनुमा होता है. पर जैसे ही डिलीवरी का समय नजदीक आता है तो उनको अजीब सा डर भी लगता है की डिलीवरी कैसे होती है (delivery kaise hoti hai) और उनकी कोनसी डिलीवरी होगी नार्मल डिलीवरी (normal delivery) या फिर सिजेरियन (cesarean).
आमतौर पर हर महिलाओ के मन में यही होता है की या नार्मल डिलीवरी होगी (Normal Delivery In Hindi) या तो फिर सिजेरियन. लोग भी यह do डिलीवरी को ही जानते है. पर अभी के technology के युग में delivery के और भी तरीके आ गए है जिनसे महिला कम दर्द और आसानी से प्रसव कर सकती है.
बहुत सी technology से प्रसव प्रक्रिया को दर्दरहित किया जा सकता है. तो आजके इस आर्टिकल में हम यही जानेगे की नार्मल डिलीवरी और सिजेरियन के अलावा और भी कोनसे तरीको से हो सकती है डिलीवरी.

दरसल medical science ने बहुत ही तरक्की कर ली है की अगर कोई भी जोकाम है नार्मल डिलीवरी में तो उनकी तुरंत ही और तरीके से सुरक्षित डिलीवरी की जा सकती है. पर हम सबसे पहले तो यह जान लेते है की,
Delivery kaise hoti hai – normal delivery kaise hota hai
डिलीवरी मतलब की प्रसव प्रक्रिया यानि की बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया. यह मुख्यत्व 2 तरीके से करते है. एक तो है normal delivery (नार्मल डिलीवरी) जो योनिमार्ग से होती है और बिलकुल कुदरती तरीके से होती है. और दूसरी है caesarian delivery (सिजेरियन डिलीवरी) इसमें महिला के पेट और गर्भाशय को चिर के बच्चे को बहार निकालते है. यह डिलीवरी कुत्रिम यानि की operation के द्वारा होती है.
पर अब technology के चलते medical science ने और भी तरीके खोज निकाले है आइये जानते है इन्हें,
Types of delivery in Hindi
1. Normal delivery – वजायनल डिलीवरी
Normal delivery process – वजायनल डिलीवरी मतलब नार्मल डिलीवरी (Normal Delivery In Hindi). इस डिलीवरी को महिलाओ के लिए सबसे सुरक्षित माना जाता है. इस डिलीवरी में कोई भी दवाई या इंजेक्शन की जरुरत नहीं पड़ती है. यह एक कुदरती प्रक्रिया है और इस में दर्द ज्यादा रहता है परंतु नार्डिमल लीवरी के बाद तुरंत ही रिकवर हो जाते है.
2. C- section – सिजेरियन डिलीवरी
अगर महिला को नार्मल डिलीवरी में कोई भी समस्या आती है तो उनको सिजेरियन डिलीवरी का सुजाव देते है. सिजेरियन डिलीवरी में महिला के पेट को काटकर के बच्चे को बहार निकाला जाता है. यह एक बड़ा operation होता है.
आजकल तो महिला ये प्रसव की पीड़ा से बचने के लिए सीधा ही C – section (सिजेरियन डिलीवरी) करना ही पसंद करती है.
यदि महिला को गर्भावस्था (प्रेगनेंसी) के दौरान कोई गंभीर समस्या हुई हो या गर्भ में 2 से ज्यादा बच्चे पल रहे हो तो उस केस में डॉक्टर्स सिजेरियन का सुजाव देते है.
सिजेरियन डिलीवरी के बाद महिला को रिकवरी आने में थोडा ज्यादा समय लगता है.
3. assisted vaginal delivery – असिस्टेड वजायानल डिलीवरी
असिस्टेड वजयानल डिलीवरी एक तरह की नार्मल डिलीवरी है है पर उसमे कोई उपकरण या साधन की मदद लेनी पड़ती है.
- फोरसेप्स
बड़े चिपटे जैसा दिखने वाले साधन को फोरसेप्स कहते है. डॉक्टर्स इसको पकड़ कर शिशु के शिर को बर्थ केनाल से बहार निकालते है.
- एपीसीओटोमी
इसमें योनी (vagina) और गुदा मार्ग के बिच में छोटा सा कट लगाया जाता है जिसको पेरीनियम कहते है. जब जल्दी डिलीवरी करनी होती है तब यह प्रक्रिया की जाती है.
- Vacuum extraction – वेक्यूम एक्सट्रेकशन
फोरसेप्स की तरह ही वेक्यूम डिलीवरी होती है. इस में डॉक्टर्स शिशु के शिर को प्लास्टिक का कप लगाकर वेक्यूम से र्बथ केनाल से ही बहार निकालते है.
- amniotomy – एमनीओटोमी
इसमें डॉक्टर्स महिला के गर्भाशय में एमनोटिक थेली के खुलने वाली जगह पर छोटा सा प्लास्टिक का हुक लगा देते है. जिससे पानी योनी मार्ग से जल्दी से बहार निकलता है और आसानी से डिलीवरी जो जाती है.
4. वजायनल बर्थ आफ्टर सिजेरियन
जिन महिलाओ को पहली डिलीवरी डिलीवरी C-section से हुई हो उनकी दूसरी डिलीवरी नार्मल भी हो सकती है. क्युकी जब तक लेबर पेन शुरू नहीं होता तब तक सिजेरियन नहीं किया जाता है. हलाकि पहली बार सिजेरियन होने के बाद दूसरी नार्मल डिलीवरी हो तो युट्राइन रप्चर (uterine rupture) का खतरा रहता है.
तो यह थी जानकारी की डिलीवरी कैसे होती है (delivery kaise hoti hai) और कोनसे कोनसे तरीके से होती (Types of delivery in Hindi) है. के बारे में.
महिला की डिलीवरी के समय पर उनकी स्थिति के अनुसार यह डॉक्टर्स तय करते है की महिला की डिलीवरी कोनसे तरीके से होगी.
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