नवजात शिशु को जन्म देना और उसे ब्रेस्टफीड यानी कि स्तनपान (breastfeed) करवाना एक प्रक्रिया है।अक्सर नई बनी हुई मां को स्तनपान करवाने में बहुत ही मुश्किल का सामना करना पड़ता है क्योंकि उसको स्तनपान करवाने का अनुभव बिल्कुल नहीं होता। इसलिए वह हमेशा उलझन में रहती है कि आखिर नवजात शिशु को दूध कैसे पिलाये यानी कि उसको फीडिंग कैसे करवाएं ? और नवजात शिशु को दिन में कितनी बार दूध पिलाएं
नवजात शिशु (new born baby) के जन्म के बाद माँ अक्सर चिंता में रहती है कि उनके बच्चे का सही तरीके से ख्याल कैसे रखा जाए इससे जुड़े मां के मन में कई सारे सवाल पैदा होते हैं फिर वह चाहे स्तनपान करवाना ही क्यों ना हो। कई महिलाओ को बच्चे को गाय का दूध कैसे पिलाना चाहिए उस से सम्बंधित समस्या भी होती है। नवजात शिशु में बहुत सारी समस्याएं आती है जैसे कि नवजात शिशु को कब्ज, नवजात शिशु को सर्दी खासी की समस्या, नवजात शिशु में बार बार पॉटी आना इन सारी समस्या से मां हमेशा चिंतित रहती है कि कैसे उसके बच्चे को इन सारी समस्या से बचाए। अगर आप प्रेग्नेंट है या प्रेगनेंसी कंसीव करना चाहते हैं तो भी आपको इस बात को जानना बहुत ही जरूरी है क्योंकि यह सारी बातें आपको आगे जाकर बहुत ही काम आएगी
इस लेख में नई मां के मन में उठने वाले सारे सवालों के उत्तर मिल जाएंगे जैसे कि नवजात शिशु को दूध कैसे पिलाये यानी कि नवजात शिशु को फीडिंग कैसे करवाएं उनका तरीका, बच्चे को दूध पिलाना कैसे और कब शुरू करें, बच्चे को दूध पिलाने का सही तरीका, बच्चे को दूध पिलाने की सही पोजीशन, दिन में बच्चे को कितनी बार दूध पिलाएं, और नवजात शिशु को स्तनपान कराने की टिप्स क्या क्या है उनके बारे में इस लेख में बताने की कोशिश की गई है।
बच्चे को दूध पिलाना कैसे और कब शुरू करें
जब महिला बच्चे को जन्म देने के बाद उसको पहली बार गोद में लेती है उस वक्त ही मां को अपने बच्चे को दूध पिलाना शुरू कर देना चाहिए क्योंकि मां का दूध बच्चे के लिए बहुत ही गुणकारी होता है और कई सारी बीमारियों से बचाने की शक्ति रखता है इसलिए नवजात शिशु का पहला खुराक (Food) मां का दूध ही होना चाहिए। डिलीवरी के बाद माँ के शरीर में दूध बनना शुरू हो जाता है। जिसको कोलोस्ट्रम (colostrum) कहा जाता है। यह दूध बच्चे को संक्रमण से बचाता है।
बच्चे को दूध पिलाने के लिए मां बच्चे को अपने ऊपर लेटाए। मां और बच्चे की छाती आमने सामने होनी चाहिए।धीरे-धीरे बच्चे का मुंह अपने निप्पल के नजदीक ले चाहिए जिससे बच्चा अपना मुंह खोलेगा और स्तनपान करने की कोशिश करेगा। अगर बच्चा फीडिंग नहीं कर पा रहा है तो आपको अपने स्तन को सपोर्ट करके बच्चे की मुंह के नजदीक ले जाना है। इस वक्त आप इस बात का ध्यान दें कि बच्चे का मुंह सिर्फ आपके निप्पल को ही नहीं बल्कि अरेओला (areola – स्तन और निप्पल का काला भाग ) को भी मुँह में ले।
शुरुआती समय में अगर बच्चे को breastfeed करने में मुश्किलें आ रही है तो आपको धैर्य से काम लेने की जरूरत है क्योंकि शुरुआती समय में मां और बच्चे को फीडिंग करवाने की और फीडिंग करने के अभ्यास की जरुरत पड़ेगी। धीरे-धीरे आप को और बच्चे को आदत हो जाएगी।अगर आप अस्पताल में है और बच्चे को स्तनपान करवाने में मुश्किलें आ रही है तो आप कोई नर्स का सहारा ले सकती है या फिर किसी अनुभवी का सपोर्ट भी ले सकती है।
अगर आपकी नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery) हुई है तो आपको दूध तुरंत आने लगेगा पर अगर आपका सीजेरियन (C-section) हुआ है तो आपको दूध आने में थोड़ा समय लगेगा उस समय आप बच्चे को थोड़े समय के लिए फार्मूला मिल्क (formula milk) पीला सकते हो।
अगर शुरुआती समय में बच्चा फिड नहीं कर पा रहा है तो आप ब्रेस्ट पंप (breast pump) का सहारा ले सकते हो। या बच्चे को बोतल से दूध पीला सकते हो।
बच्चे को दूध पिलाने का सही तरीका
1. बच्चे को स्तनपान की स्थिति में लेटाना
2. स्तन को सपोर्ट करना
3. शिशु को स्तनपान के लिए लुभाये
4. ध्यान दे बच्चा भूखा है या नहीं
5. बच्चा स्तन को ठीक से पकड़े
बच्चे को कितनी बार दूध पिलाएं
नवजात शिशु के जन्म से लेकर उनके 1 महीने के होने तक आपको उनको दिन में 8-10 बार फीडिंग (स्तनपान) करवाना है कयुकी बेस्ट मिल्क आसानी से पच जाता है। इसलिए नवजात शिशु बार बार पॉटी कर देता है और बार-बार पेशाब भी कर देता है और ब्रेस्ट मिल्क आसानी से पच जाने की वजह से वह बार-बार भूखा भी होता है। और बार-बार ब्रेस्टफीडिंग (स्तनपान) करवाने से मां के दूध में भी बढ़ावा होता है।
अगर आपका बच्चा 1 से 2 महीने का हो जाता है तो आप उसको 7-8 बार फीडिंग (स्तनपान) करवा सकते हो क्योंकि बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता है उसके फीडिंग की फ्रीक्वेंसी भी कम होती जाती है क्योंकि तब बच्चा एक से ज्यादा दूध पी लेता है और वह ज्यादा भूखा नहीं होता।
शुरुआती दिनों में बच्चे को ज्यादा भूख लगती है क्योंकि तब बच्चा है वह बहुत छोटा होता है उनका पेट जल्दी खाली हो जाता है इसलिए आपको बच्चे को हर एक से डेढ़ घंटे में फीडिंग (स्तनपान) करवाना है पर जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा उस वक्त मां को भी पता चल जाएगा कि बच्चा कब भूखा होता है और उसको कब फीडिंग करवाना है।
अगर आपका बच्चा 2 महीने से बड़ा हो जाता है तो आप उसको हर 3 से 4 घंटे में फीडिंग करवा सकते हो पर याद रहे कि बच्चा 3 घंटे से ज्यादा भूखा ना रहे और रात को भी बच्चे को बार बार उठाकर फीडिंग करवाना जरूरी है रात को बच्चे को फीडिंग करवाना बिल्कुल भी ना भूले क्योंकि यह समय बच्चे की growth होने का समय होता है अगर उसको सही समय पर न्यूट्रिशन और स्तनपान ना मिले तो बच्चे की growth और डेवलपमेंट अच्छे से नहीं होती है और उसमें रूकावट आ सकती है। और बच्चे हेल्दी नहीं हो पाते है बल्कि कमजोर बच्चे हो जाते है।
2. शिशु के जन्म के बाद जितना हो सके उतना जल्दी मां को स्तनपान करवाना चाहिए जिससे मां के दूध में बढ़ावा होता है।
3. नवजात शिशु को दूध पिलाते समय शिशु को मां के स्तन के करीब ले जाइये जिससे मां को बच्चे की तरफ झुकना पड़े और मां के कमर में दर्द ना हो।
तो यह पूरी जानकारी कि नवजात शिशु को दूध कैसे पिलाये यानी कि नवजात शिशु को फीडिंग कराने का तरीका क्या-क्या है और नवजात शिशु को स्तनपान करवाने की टिप्स के बारे में।
उम्मीद है कि आप को इस आर्टिकल से सही जानकारी मिली होगी कि नवजात शिशु को दूध कैसे पिलाना चाहिए यानि की शिशु को breastfeed कैसे करवाए।