बेबी को पॉटी न आये तो क्या करे | शिशु में कब्ज होने के लक्षण, कारण और उपाय

शिशु में कब्ज होना बहुत ही आम समस्या है। अगर नवजात शिशु है तो वो सिर्फ माँ का दूध यानि की स्तनपान ही करता है जो पचने में बहुत ही सरल होता है तो ऐसे मे शिशु को कब्ज नहीं होता है। पर अगर कोई बच्चा फार्मूला मिल्क पी रहा है तो उनके लिए पचाने में समय लगता है तो उनको कई बार कब्ज की समस्या हो जाती है। छोटे बच्चे का गंदा डायपर बदलना आम बात है। क्युकी शिशु को बार बार पॉटी आता रहता है। लेकिन जब वो कम पॉटी करे और थोड़ी कड़क वाली पॉटी करे तो हो सकता है की उनको कब्ज की समस्या हो। ऐसे में parents परेशान रहते की बेबी को पॉटी न आये तो क्या करे ?

 

बेबी को पॉटी न आये तो क्या करे | शिशु में कब्ज होने के लक्षण, कारण और उपाय

 

अगर बात करे थोड़े बड़े बच्चो की जिसने ठोस आहार (BLW) शुरू कर दिया हो उनको कभी कभी कब्ज की समस्या हो जाती है। पर ऐसा जरुरी नहीं है एक बच्चे को कब्ज हुआ है तो उनके जैसे दूसरे बच्चो को भी कब्ज की समस्या हो। क्युकी हर बच्चे का पाचनतंत्र अलग अलग होता है। ये बच्चे के खान-पान और कद के ऊपर आधार रखता है। तो अगर आप भी शिशु में कब्ज की समस्या से परेशान हो रहे हो की छोटा बच्चा लैट्रिन ना करे तो क्या करें? या नवजात शिशु को पॉटी न आये तो क्या करे और अगर 2 साल के बच्चे को कब्ज, 4 साल के बच्चे को कब्ज या कोई भी बड़े बच्चो को कब्ज की समस्या है तो आपको इस लेख में पूरी जानकारी मिल जाएगी की क्या है शिशु में कब्ज होने के लक्षण, कारण और उनका उपचार  दवा क्या है।

शिशु में कब्ज के लक्षण

शिशु में या बच्चो में कब्ज के कई सारे लक्षण होते है ये बच्चे की उम्र और खोराक के हिसाब से होते है। पर निचे दिए गए लक्षण सभी बच्चो में सामान्य होते है।
 

मल त्याग करने में जोर लगाना

अगर आपके बच्चे ने 4-5 दिन या 1 सप्ताह तक पॉटी नहीं किया है और आपका बच्चा मल त्याग करते समय जोर लगता है और ताकत लगता है उनका चहेरा लाल हो गया है फिर भी मल निकलने में समय लगता है तो समज लीजिये की उन्हें कब्ज हो गया है।

अनियमित मल त्याग

अगर नवजात शिशु है तो उनका अनियमित मल त्याग करना आम बात है पर अगर आपका बच्चा 1 साल से अधीक उम्र का है और वो रेगुलर मल त्याग नहीं करता है और अनियमित यानि की कभी 1 दिन कभी 3 दिन बाद ऐसे करता है तो उनको कब्ज की समस्या हो सकती है। पेट फूलना और कठिन हो जाना
अगर आपके बच्चे ने समय पे मल त्याग नहीं किया है और उनका पेट फूल गया है और वो थोड़ा थोड़ा कठिन (hard) लग रहा है तो उनको कब्ज की समस्या है। और पेट फूलने की वजह से बच्चे को कई बार पेट दर्द भी होता है।

बच्चे का खाना खाने से इंकार करना

अगर आप नवजात है और वो स्तनपान करना या फार्मूला मिल्क पीना बंधा कर दे या ठोस आहार लेना बंद करदे और उनका पेट आपको फुला हुआ लग रहा है तो ये कब्ज और गैस होने का संकेत दे रहा है। आप उसकी तुरंत जाँच करिये की कही उनको सचमुच में कब्ज ही नहीं है।
 
शिशु में कब्ज की समस्या

शिशु में कब्ज होने के कारण – shishu me kabj hone ke karan

अगर किसीको भी कब्ज की समस्या है और बेबी को पॉटी न आये तो उनको कब्ज को तुरंत ही दूर देना चाहिए क्युकी 90 % रोग होने का सबसे बड़ा कारण कब्ज ही होता है।

पोषण की कमी से कब्ज

अगर शिशु को सही पोषण यानि पर्याप्त मात्रा में फाइबर नहीं मिलता है तो उनकी वजह से भी कब्ज की समस्या हो सकती है क्युकी फाइबर की कमी की वजह से मल कठोर हो जाता है। तो अपने बच्चे के आहार में हमेशा फाइबरयुक्त चीजे शामिल करिये।


पानी की कमी से कब्ज 

अगर शरीर में पानी की कमी हो जाती है तो भी कब्ज की समस्या हो सकती है क्युकी पानी की कमी से मल कठोर हो जाता है। अगर शिशु स्तनपान कर रहा है तो वो माँ के दूध में से पानी की कमी को पूरा कर लेगा इस लिए आपको यह पता होना चाहिए की नवजात शिशु को कितनी बार दूध पिलाना चाहिये पर अगर 6 महीने से बड़ा है तो उनको ऊपर का पानी अवश्य दे। जिस से उनको कब्ज ना हो।
 

रोग की वजह से कब्ज

जठरा तंत्र में संक्रमण होने से शिशु में कब्ज की समस्या हो जाती है। क्युकी इस से मल सख्त और खून भी आ सकता है।
 

दूध की समस्या से कब्ज

अगर आपका बच्चा नवजात है तो उनको पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं मिल रहा हो तो उनकी वजह से भी कब्ज की समस्या हो सकती है।
 
अगर बच्चा फार्मूला मिल्क पि रहा है और उनके फार्मूला मिल्क में होने वाले बदलाव से भी उनको कब्ज की समस्या हो सकती है। 
 
हालाकि सभी बच्चो में कभी न कभी कब्ज होना आम बात है पर अगर आपका बच्चा 3 महीने से कम उम्र का है तो आप डॉक्टर से जाँच करवाले।
 

शिशु में कब्ज के उपाय – shishu me kabj ke upay

शिशु को कब्ज से राहत दिलाने के लिए उनके खान-पान और जीवनशैली में बदलाव जरुरी है। आप बच्चे को बिना दवाई के भी शिशु में कब्ज के लिए घर उपचार से भी कब्ज ठीक कर सकते हो।
 

बच्चे को ज्यादा स्तनपान कराइये

अगर आपका बच्चा स्तनपान कर रहा है तो उनको कब्ज की समस्या हो रही है यानि की 1 से 6 महीने बेबी को पोटी ना आये तो आप उनको ज्यादा स्तनपान कराइये इस से उनके शरीर में पानी की कमी नहीं रहेगी और उनको कब्ज से राहत मिलेगी।

फार्मूला मिल्क बदलिए 

अगर आपका शिशु फार्मूला मिल्क पी रहा है और उनको कब्ज की समस्या हो रही है तो आप उनका मिल्क का brand बदल के try कर सकते हो।


पिसा हुआ आहार दे

अगर आपका बच्चा 6 महीने से अधिक का हो चूका है तो आप उनको शुरूआती दिनों में पिसा हुआ आहार दे जिस से उनको पचने में आसानी रहेगी और उनको कब्ज की समस्या नहीं होगी। 


ठोस आहार देने में ध्यान रखे

अगर आप अपने बच्चे का ठोस आहार शुरू कर रहे हो तो ध्यान रहे की उनको सभी food एक साथ में ना दे। इस की बजाय आप उनको हररोज अलग अलग फ़ूड खिलाये जिस से आपको पता चल सके की बच्चे को किस फ़ूड से कब्ज होता है। 

फ्रूट जूस अवशय दे

अगर आपका बच्चा 6 महीने से बड़ा है तो आप उन्हें हररोज फ्रूट जूस पिलाइये क्युकी फ्रूट में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है और बच्चे के शरीर मर पानी की कमी भी नहीं रहेगी जिस से बच्चे को कब्ज से राहत भी मिलेगी।
 

तरल आहार की मात्रा बढ़ाइए

अगर बच्चे के शरीर में तरल पदार्थ की मात्रा सही है तो उन्हें मल त्याग करने में आसानी रहती है। इस लिए आप हमेशा बच्चे को hydrate रखे जितना हो सके उतना बच्चे को तरल आहार दे जिस से बच्चे को कब्ज की समस्या ना रहे। 

बच्चे को एक्टिव रखे

बच्चा जितना एक्टिव होगा उतना ही उनका पाचन सही से होगा और उनको कब्ज की शिकायत नहीं रहेगी। क्युकी बच्चा खेल-कूद करेगा तो ज्यादा पानी पियेगा जिस से वो हाइड्रेट भी रहेगा और मल भी नरम आएगा। 

बच्चे की मालिश करिये

 शिशु की मालिश करने से बच्चे की मासपेशिया क्रियाशील रहती है। और अगर बच्चे को कब्ज की समस्या है तो आप उनके पेट के आसपास मालिश जरूर करिये जिस से उनके पेट की मासपेशिया प्रभावित होगी और बच्चे के पेट मेसे गैस दूर होगा और अगर कब्ज है तो मल त्याग करने में भी आसानी रहेगी।
 

बेबी को पॉटी न आये तो क्या करे | शिशु में कब्ज के लिए घरेलु उपचार

अगर आपके शिशु को कब्ज की समस्या हो गई है तो आप ऊपर दिए गए शिशु में कब्ज के उपाय को तो कर ही सकते हो और उनके साथ साथ आपको कुछ शिशु में कब्ज के घरेलु तरीके को भी करना चाहिए। जिस से बच्चे को कब्ज से राहत मिले। इस में आपको बच्चो का पेट साफ करने के उपाय दिए गए है।
 

सेब (apple जूस) का रस पिलाये

बच्‍चों में भी फाइबर की कमी के कारण कब्‍ज हो सकती है। सेब में मौजूद फाइबर या‍नी पेक्टिन कब्‍ज के इलाज में फायदेमंद होता है। आप सेब के छिलके साथ जूस निकाल कर शिशु को दे सकते हैं।
 

सौंफ का पानी पिलाये

सौंफ बहुत ही गुणकारी और फायदेमंद मसाला है। ये बच्चे को हेल्दी भी रखती है और पाचनक्रिया को सुधार ने में मदद करती है जिस से बच्चे को कब्ज से राहत मिलती है।
 
सौंफ का पानी बनाने के लिए आप 1 ग्लास पानी में 1 चमच्च सौंफ डालकर उबालिये और पानी को ठंडा होने दे। उस पानी को आप बच्चे को दिन में 2-3 बार पिलाइये। पर ध्यान रहे की आपका बच्चा 6 महीने से बड़ा होना चाहिए।
 

ऑर्गेनिक नारियल तेल

कब्‍ज के घरेलू उपचार में आप नारियल तेल का प्रयोग भी कर सकते है। 6 महीने से अधिक उम्र के शिशु के खाने में 2-3 ml नारियल तेल मिला सकते हैं। अगर बच्‍चा 6 महीने से कम का है तो उसकी गुदा के आसपास नारियल तेल लगाएं।
 

आलूबुखारे का जूस पिलाये

आलूबुखारे का जूस शिशु की कब्ज की सबसे प्रभावी दवाओं में से एक है। इसमें मल को नरम बनाने का प्राकृतिक गुण होता है, जिसके ज़रिए यह शिशु के मलत्याग को आसान बनाकर उसे कब्ज से राहत देता है।
 
2 आलूबुखारे को बारीक काट के इन्हें मिक्सर में पीस लें। इसके बाद छलनी से छानकर एक कप में इनका जूस निकालें। अब दो चम्मच आलूबुखारे के जूस में आधा चम्मच पानी मिलाएं। कब्ज से पीड़ित शिशु को यह जूस को दिन में तीन से चार बार पिला सकते हैं। यह छह माह या उससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए सुरक्षित है।
 

केला खिलाइये

बच्चे को कब्ज की समस्या है तो आप उन्हें केला जरूर खिलाइये क्युकी केले में फाइबर और चिकनापन ज्यादा होता है जिस से बच्चे को मल त्याग करने में आसानी रहती है। इस लिए अपने बच्चो को हररोज 1-2 केला अवश्य खिलाइये।
 

नाशपती का जूस पिलाइये

नाशपती का सेवन कब्ज को दूर करने में कारगर साबित होता है। क्युकी इसमें पैक्टीन नामक तत्व के साथ ही सेहतमंद रेशे (फाइबर) भी पाए जाते हैं, जो आंतों को स्वस्थ बनाकर मल का प्रवाह सामान्य करते हैं। इससे शिशु को नियमित रूप से मल त्याग करने में मदद मिलती है।
 

बच्चे को पपीता खिलाइये

पपीता फाइबर का एक अच्‍छा स्रोत है इसीलिए ये कब्‍ज के इलाज में बहुत असरकारी होता है। 6 महीने से अधिक उम्र के बच्‍चे के लिए पपीता कब्‍ज से छुटकारा दिलाने में बहुत फायदेमंद साबित होता है।
 

बच्चे को दही खिलाइये

अगर बच्चा छोटा है तो उनका पाचनतंत्र कम विकसित होता है जिसकी वजह से बच्चा खाने को अच्छे से पचा नहीं पता है और उन्हें कब्ज हो जाता है। ऐसे में प्रोबायोटिक्स (एक प्रकार के अच्छे जीवाणु, जो हमारे पेट में पाए जाते हैं और भोजन के पाचन में मदद करते हैं) से भरपूर दही बच्चे को कब्ज से राहत दे सकते हैं।
 
आप बच्चे को सादा दही खिला सकते हैं। अगर आप चाहें तो उसे दही में थोड़ा नमक या भुना हुआ बारीक पिसा हुआ जीरा मिलाकर भी दे सकते हैं। 6 महीने या इससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए दही खाना सुरक्षित है।
 

बच्चे को टमाटर का जूस पिलाइये 

टमाटर पाचनक्रिया को सही बनाकर कब्ज से राहत दीलाता है। शिशु की कब्ज दूर करने के लिए उसे टमाटर का रस पिलाना फायदेमंद होता है। इसके अलावा अगर आपका बच्चा ठोस आहार खाने लगा है, तो उसे हररोज टमाटर खिलाइये।
 

बच्चे को संतरे का जूस पिलाइये

संतरे का जूस पाचनतंत्र को स्वस्थ रखता है जिस से कब्ज की शिकायत नहीं रहती और मल भी मुलायम और नियमित होता है। इस लिए अपने बच्चो को संतरे का जूस या संतरा अवश्य खिलाइये।

बच्चे के पेट पर पान का गुनगुना पत्ता लगाएं

पान के पत्ते में एंटीऑक्सीडेंट्स तत्व और दर्द से राहत देने वाले तत्व पाए जाते हैं। जो शिशु में कब्ज को कम करने में मदद करता है।
 
इसके लिए आप पान के पत्ते को तवे पर रखकर हल्का गर्म करें। अब इसे बच्चे के पेट पर (नाभि के पास) रखकर हल्के हाथों से दबाएं। इस प्रक्रिया को आप दिन में 2 बार दोहरा सकते हो।

नवजात शिशु को कब्ज होने पर डॉक्टर के पास कब जाये

अगर आपका बच्चा नवजात है या फिर बड़ा है और उनको कब्ज हुआ है और वो खाना नहीं खा रहा और उनका वजन कम हो रहा है या फिर उनके मल में खून आ रहा है तो आपको तुरंत ही डॉक्टर से जाँच करवानी चाहिए। अगर आपने अपने बच्चे के डाइट में जरुरी बदलाव किये है फिर भी उनका मल कठोर हो रहा है तो ये उनके स्वास्थ्य पर  कर सकता है इस केस में आप डॉक्टर को कंसल्ट करे।
    
तो ये थी पूरी जानकारी की बेबी को पॉटी न आये तो क्या करे यानि की शिशु में कब्ज होने के लक्षण क्या है, शिशु में कब्ज होने के कारण क्या है और शिशु में कब्ज होने के घरेलु उपचार क्या है इस के बारे में। अगर आपके नवजात शिशु या बड़े बच्चे को कब्ज की समस्या है तो आप इन तरीको को जरूर अपना सकते है। 
 
Happy Parenting .
 
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