नवजात शिशु बहुत ही नाजुक होते है। और उनका पाचनतंत्र भी नाजुक होता है। इस लिए हर माता-पिता चिंतित रहते है की नवजात शिशु दिन में कितनी बार पॉटी करता है.
अगर उनका बच्चा 2-3 दिन में 1 बार पॉटी करे या फिर 1 दिन में 5-6 बार पॉटी करे तो भी। हलाकि नवजात शिशु का बार बार पॉटी (बच्चे को बार-बार पॉटी आना) और बार बार पेशाब करना सामान्य है।
नए माता पिता को इस बारे में ज्यादा फिक्र होती है, क्योंकि वो शिशु के मल (baby potty in hindi) सम्बंधी कुछ ज़रूरी बातें नहीं जानते हैं जैसे की navjat shishu kitni bar potty karta hai. असल में शिशु का मल हमें उसकी सेहत से जुडी कई महत्वपूर्ण बातों की जानकारी देता है।
तो अगर आप भी चिंतित है की आपका नवजात शिशु कितनी बार पॉटी करता है (बच्चे को बार-बार पॉटी आना) और कब और कितनी बार बदले अपने बच्चे का डायपर उनकी उम्र के हिसाब से तो आपको ये लेख बहुत ही मददरूप होगा।
तो सबसे पहले तो ये जान लेते है की,
90% नवजात शिशु जन्म के 24 घंटों के अंदर ही मल त्याग (नवजात शिशु को बार-बार लैट्रिन आना) करते हैं, जबकि 48 घंटे तक ज्यादातर बच्चे कम से कम एक बार मल त्याग करते ही करते हैं। जैसे की हमने ऊपर जाना की बच्चे का पहला मल हरे और काले रंग का होता है और इसमें कोई गंध नहीं होती है जिसे मैकोनियम कहा जाता है। मेकोनियम 72-96 घंटों के अंदर पास होता है। फिर रंग बदलता स्टूल आना शुरू होता है जो ज्यादा हरा होता है और व म्यूकस और पानी से भरा होता है।
पहले week के अंत तक नवजात शिशु पीले रंग का मल त्याग करना शुरू कर देते हैं। जन्म के बाद पहले week के दौरान, दूध के सेवन में वृद्धि के साथ मल त्याग की मात्रा भी बढ़ जाती है। इसके अलावा, नवजात शिशुओं का पेट जल्दी खाली हो जाता है और हर फीडिंग (स्तनपान) के बाद बच्चा मल त्याग करता है। लेकिन बच्चे के मल त्याग करने का कोई आंकड़ा नहीं बताया गया है।
यह बदलता रहता है, एक हफ्ते में बच्चा दिन में 6 से 8 बार मल त्याग कर सकता है और शिशु को बार-बार मल करना सामान्य है। मल की मात्रा इतनी मायने नहीं रखती है जब तक कि बच्चे को कोई असुविधा और उलटी न हो, फीड न कर पाने या पेट भरा होने जैसे लक्षण न दिखाई दें तब तक।
स्तनपान करने वाले शिशु आमतौर पर स्तनपान करते समय या स्तनपान करने के बाद मल-त्याग करते हैं। स्तनपान करने वाले शिशु 1 दिन में 5-7 बार तक मल कर सकते हैं। और कोई शिशु 5-6 दिन में 1 बार मल करते हैं, अगर शिशु का मल (बच्चे को बार-बार पॉटी आना) मुलायम है तो चिंता की कोई बात नहीं है।
वही फॉर्मूला दूध पीने वाले शिशु भी दूध पीने के दौरान या दूध पीने के बाद मल कर सकते हैं। आमतौर पर ये 1 दिन में 1-3 बार ही मल करते हैं, लेकिन कई शिश 4-5 चार से ज्यादा बार भी मल करते हैं। अगर आपका शिशु ठोस आहार खाता है, तो वो एक नियमित दिनचर्या के अनुसार शौच करता है और दिन में केवल 1-2 बार ही मल (baby potty in hindi) त्याग करता है।
शुरुआती दिनों में नवजात शिशु को कितनी बार दूध पिलाना चाहिये
क्या स्तनपान करते वक़्त शिशु का पॉटी करना सामान्य है?
क्या स्तनपान करते वक्त शिशु का बच्चे को बार-बार पॉटी आना सामान्य है तो जी हा बिलकुल, शुरूआती दिनों में नवजात शिशु स्तनपान करते वक्त और स्तनपान के बाद पॉटी करता रहता है। फिर जैसे जैसे शिशु बड़ा होता होता है इसके साथ साथ उनका पाचनतंत्र मजबूत होता जाता है और बच्चे का पॉटी करना कम होता जाता है।
अगर बच्चा स्तनपान (माँ का दूध) करता है तो ये दूध उनके लिए पचाने में हल्का होता है जिस से उनकी पॉटी करना कम हो जाता है क्युकी माँ के दूध का ज्यादातर हिस्सा पच जाता है। वही अगर शिशु फार्मूला मिल्क पि रहा है तो वो उनके लिए पचाने में समय लगता है और कई बार शिशु में कब्ज होने की भी संभावना बढ़ जाती है।
इसलिए कब्ज की समस्या से बचने के लिए उसके लिए शिशु को हररोज 1-2 बार पॉटी (बच्चे को बार-बार पॉटी आना) करना ज़रूरी होता है। इसलिए अगर, आपका शिशु स्तनपान करता है तो फॉर्मूला दूध पीने वाले शिशुओं की तुलना में उसकी दूध पीने के बाद तुरंत ही मल करने की संभावना ज्यादा होती है।
ऐसा इसलिए क्योंकि फॉर्मूला दूध को पचा पाना मुश्किल हो सकता है। इसलिए इसे शिशु के शरीर से बाहर निकलने में ज्यादा समय लग सकता है। इसके बाद भी, अगर शिशु हर बार फॉर्मूला दूध पीने के बाद मल त्याग करता है, तो भी कोई चिंता की बात नहीं है। खासकर कि शुरुआती कुछ हफ्तों में।
बच्चे को पॉटी आना कब सामान्य होता है
जब 6 महीने की उम्र के बाद में आपका शिशु ठोस आहार (6 month baby food in hindi) खाना शुरु कर देता है, तो उसके मल की बनावट और रंग में बदलाव आता है। फाइबर से भरपूर भोजन जैसे किशमिश, राजमा, फल के टुकड़े जैसे फ़ूड शायद बिना पचे ही सीधे उसके मल के जरिये बाहर निकल सकते हैं। शिशु की पॉटी में शायद आपको ये साबुत या इनके टुकड़े दिखाई दे सकते हैं। पर कोई बात नहीं जैसे-जैसे शिशु बड़ा होगा, इस स्थिति में बदलाव आएगा और वह फाइबर अधिक सक्षमता से पचा सकेगा।
ये तो बात हुई नवजात शिशु की की नवजात शिशु दिन में कितनी बार पोटी करता है पर अब हम जानते है की नवजात शिशु से लेके 1 साल की उम्र तक बच्चे कितनी बार पोटी करते है यानि की बच्चे की उम्र के हिसाब से कितनी बार बदलना पड़ता है बच्चे का डायपर ?
उम्र के हिसाब से कितनी बार बदलें बच्चे का डायपर
नवजात शिशु से 1 महिने तक
1 महिने से 5 महीने तक
5 महीने से अधिक उम्र में
1 साल की उम्र तक
कब बदलना चाहिए बच्चे का डायपर
जब भी आपको लगे की बच्चे का डायपर गिला हो गया है तो तुरंत ही उसे बदले या आप हर एक घंटे के बाद बच्चे का डायपर चेक करते रहिये। क्युकी गीले डायपर (पेशाब-मल) की वजह से बच्चे को infection लग सकता है। जब भी बच्चा सोकर उठता है तो उनका डायपर जरूर चेक करे और रात को सोने से पहले बच्चे का डायपर अवश्य बदले।
नवजात शिशु स्तनपान या फार्मूला मिल्क पिने बाद हर घंटे में पेशाब और पोटी करता है क्युकी बच्चे को बार-बार पॉटी आना शुरू ही रहता है। इस लिए आपको उनका डायपर नियमित समय पे चेक करके बदलते रहना चाहिए इसके लिए आपको डाइपर का भारी होने की राह नहीं देखनी चाहिए।
तो ये थी पूरी जानकारी की नवजात शिशु दिन में कितनी बार पॉटी करता है। (baby potty in hindi), बच्चे को बार-बार पॉटी आना और उम्र के हिसाब से कितनी बार बदलें बच्चे का डायपर के बारे में उम्मीद है की आपको इस आर्टिकल से सही जानकारी मिली होगी।
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