गर्भवस्था एक ऐसा चरण है जिसमे हर महिला को अपना और अपने आने वाले शिशु का ख्याल रखना बहुत ही आवश्यक हो जाता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओ को बहुत सी मुश्किलिओ का सामना भी करना पड़ता है। उसमे से एक है गर्भावस्था में पानी की कमी के लक्षण (एमनियोटिक द्रव की कमी) या गर्भ में पानी की कमी (oligohydramnios in hindi).
इसी लिए आप गर्भावस्था में पानी की कमी के लक्षण को पहचाने और उनको दूर करने के उपाय भी करे। आपको इस आर्टिकल में प्रेगनेंसी में पानी की कमी कैसे दूर करें, गर्भावस्था में पानी की कमी होने के कारण और उनका उपाय भी मिल जायेगा और साथ में प्रेगनेंसी में कितना पानी पीना चाहिए यह भी जानेगे।
सबसे पहले तो यह जान लेते है की,
एमनियोटिक द्रव या गर्भाशय का पानी किसे कहते है?
किसी भी महिला को गर्भ ठहरने के 12 से 15 दिन के बाद महिला के गर्भाशय में एमनियोटिक थैली (amniotic sac in hindi) होता है। और उसमे पानी यानि की द्रव बनना शुरू होता है। जिसे एमनियोटिक द्रव कहते है। में पल रहे शिशु के लिए बहुत ही जरुरी और रक्षणकारक होता है। इसी द्रव में रहकर गर्भ में पल रहे शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास होता है।
प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में शिशु को एमनियोटिक फ्लूइड (amniotic fluid) मां से प्राप्त होता है। इस दौरान महिला के गर्भाशय में एमनियोटिक द्रव की अच्छी मात्रा होने की वजह से गर्भ में शिशु आसानी से घूम फिर सकता है, जिससे उसका विकास अच्छे से होता है।
प्रेगनेंसी में पानी की कमी क्यों होती है ? – गर्भावस्था में पानी की कमी होने के कारण
गर्भावस्था में पानी की कमी होने के कारण बहुत से होते है। आइये इन्हे विस्तार से जाने।
विकलांगता – प्रेगनेंसी के 2nd trimester (दूसरी तिमाही) के अंतिम महीने में गर्भ में पल रहे शिशु के मूत्र से गर्भ में रहे पानी (एमनियोटिक फ्लूइड) की मात्रा बढ़ती है। ऐसे में अगर बच्चे के शरीर में कोई किडनी या मूत्रमार्ग से लगती कोई समस्या है तो गर्भ में पानी की कमी हो सकती है।
डिहाइड्रेशन : अगर प्रेग्नेंट महिला कम पानी पीती है या प्रेगनेंसी में पानी की कमी की कमी उनके शरीर में हमेशा रहती है तो पेट में पल रहे शिशु के विकास में बाधा आती है। कम पानी पीने से या हाइड्रेट नहीं रहने से गर्भ में पानी की कमी होने लगती है। इसी लिए हमेशा पानी पिए और water rich fruits और salad खाये।
झिल्ली का फटना – कभी कभी गर्भावस्था के दौरान गर्भ की थैली यानी की पानी की थैली (झिल्ली) फटने से भी गर्भ में पानी की कमी यानि की एमनॉयटिक द्रव की कमी (oligohydramnios in hindi) हो जाती है।
प्लेसेंटा में खामी – गर्भाशय में महिला के प्लेसेंटा में किसी भी प्रकार की खामी या समस्या से खून के बहाव शिशु तक अच्छे से नहीं पहुंच पाता है जिससे एमनॉयटिक द्रव और शिशु के पेशाब के पुनरावृति पर भी असर होता है। जिसकी वजह से भी गर्भ में पानी की कमी (oligohydramnios in hindi) हो जाती है।
पानी की थैली में छिद्र – किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान पानी की थैली में छिद्र हो जाता है। जिससे एमनॉयटिक द्रव रिसने लगता है और प्रेगनेंसी में पानी की कमी होने लगती है। कोई कोई मामलो में यह छिद्र बहुत ही छोटा सा होता है।
प्रसव में देरी – प्लेसेंटा की कार्यप्रणाली में फेरफार की वजह से प्रसव (normal delivery) होने में समय देरी हो सकती है और 42 हप्ते से ज्यादा होने से गर्भ में पानी की कमी होने लगती है।
गर्भस्थ महिला में समस्या – गर्भवस्था के दौरान महिला को होने वाली शारीरिक और मानसिक समस्या जैसे की शरीर में पानी की कमी, तनाव, हाई बीपी, शुगर से भी गर्भ में पानी की कमी हो जाती है।
गर्भ में पानी की कमी कब होती है ?
गर्भावस्था में पानी की कमी किसी भी चरण में हो सकती है पर ज्यादातर महिलाओ को यह समस्या तीसरे चरण (3rd trimester) में होती है। pregnancy के दौरान आपको हमेशा hydrate रहना बहुत ही जरुरी होता है क्युकी प्रेगनेंसी में पानी की कमी आपके पेट मे पल रहे शिशु के लिए जानलेवा भी हो सकती है।
हलाकि महिलाओ को प्रेगनेंसी के तीसरे से पाचवे महीने तक में भी एमनॉयटिक द्रव की कमी हो सकती है लेकिन ऐसा बहुत कम केस में होता है।
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गर्भावस्था में पानी की कमी के लक्षण
गर्भावस्था में पानी की कमी होने के कारण से आपको और होने वाले शिशु को बहुत सी बीमारिया होने का खतरा हो सकता है। लेकिन आपको यह पता कैसे चलेगा की आपके शरीर में और गर्भ में पानी की कमी है। आपको गर्भावस्था में कितना पानी पीना चाहिए और गर्भावस्था में पानी की कमी के लक्षण क्या है यह आपको निचे बताया गया है।
- पानी की कमी का सबसे मुख्य लक्षण है प्यास लगना। प्रेगनेंसी में जब भी आपको प्यास लगे तो आप उसको बिलकुल भी नजरअंदाज न करे और तुरंत ही पानी पिएया।
- अगर आपको सिरदर्द या माइग्रेन की समस्या हो रही है तो यह भी आपके शरीर में पानी की कमी होने की वजह से हो सकता है।
- गर्भवस्था के दौरान हाथ पैर और होंठ फटे और सूखे रहना यह भी एक पानी की कमी के लक्षण है।
- गर्भवस्था में ज्यादा पानी की कमी से महिलाओ को बैठकर खड़े होने पर और निचे झुकने पर अँधेरा और चक्कर जैसी समस्या होने लगती है। यह भी एक प्रेगनेंसी में पानी की कमी के लक्षण है।
- जब प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में पानी की कमी होने लगती है तब महिला के शरीर का एनर्जी लेवल कम होने लगता है।
- अगर पेशाब (यूरिन) का रंग साफ नहीं है और पिले रंग का होता है तो यह भी पानी की कमी (dehydration) के लक्षण है।
- अगर आपको बार बार कब्ज (constipation) की समस्या हो रही है तो आपके शरीर में पानी की कमी है आप ऐसा मान सकती है।
गर्भावस्था में पानी की कमी के उपाय – प्रेगनेंसी में पानी की कमी कैसे दूर करें
बहुत सी महिलाओ को उनकी प्रेगनेंसी के दौरान पानी की कमी हो जाती है। ऊपर हमने यह जान लिया की गर्भवस्था में पानी की कमी के कारण और लक्षण क्या क्या है। अब हम जानेगे की आप अपनी pregnancy में पानी की कमी को कैसे रोक सकते है और प्रेगनेंसी में पानी की कमी कैसे दूर करें ताकि आपके शरीर में इन 9 महीनो में पानी की कमी न हो।
- सबसे आसान और अच्छा रास्ता है आप हरदिन पर्याप्त मात्रा में पानी पिए। आपको कम से कम 3 लीटर जितना हररोज पानी पीना ही चाहिए जिससे आप dehydration से बच सकती है।
- आप हर एक घंटे में 2 गिलास पानी अवश्य पिए और हो सके तो कोई कोई बार उसमे नींबू का रास मिलाकर पिए।
- अगर बहार travel करती है या आपको किसी काम से बहार जाना होता है तो आप हमेशा एक पानी या juice की बोत्तल अपने साथ रखे। जो आपको प्यास लगने पर काम आये।
- आपको अपनी डाइट में फ्रूट्स, फ्रूट जूस, सुप, नींबू पानी इन सबको जरूर शामिल करना चाहिए। जिससे आप डिहाइड्रेशन से बच सकती है और आपके शरीर में पानी की कमी नहीं होगी।
- अगर गर्मी का महीना है तो आपको orange और watermelon का सेवन जरूर करना चाहिए। यह दो फ्रूट्स आपके शरीर में पानी की कमी को दूर करते है और nutrition भी देते है।
- अगर ज्यादा गर्मी की ऋतु है तो आपको ज्यादा देर तक व्यायाम और योगा नहीं करना चाहिए। इन सभी में आपके शरीर में से पसीना निकलता है और आपके शरीर में पानी की कमी होने लगती है। इस लिए आपको एक निमित समय में ही इसे करना चाहिए।
- जंक फ़ूड, प्रोस्सेड फ़ूड, फ्राइड फ़ूड, स्पाइसी फ़ूड, कैफीन और धूम्रपान से हमेशा दूर रहे क्युकी इन चीजों से आपके शरीर में पानी की कमी हो सकती है।
गर्भावस्था में पानी की कमी से नुकशान
अगर आपको अपनी प्रेगनेंसी के दौरान पानी की कमी रहती है तो आपको और आपके बेबी को इनसे नुकशान भी हो सकता है। तो आइये जानते है की आपको गर्भावस्था में पानी की कमी से कोनसे नुकशान हो सकते है।
- पानी की कमी की वजह से महिलाओ को हाथ पैर में सूजन बहुत ज्यादा हो सकती है।
- सबसे मुख्य पानी की कमी की वजह से गर्भ में एमनॉयटिक द्रव (बच्चदानी में पानी) की कमी हो सकती है जिससे आपके बच्चे को स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या भी हो सकती है।
- प्रेगनेंसी में अगर शरीर में पानी की कमी हो जाए तो महिला को यूरिन इन्फेक्शन का खतरा हो सकता है।
- शरीर में पानी की कमी होने की वजह से गर्भवती महिला को सिरदर्द और चक्कर जैसी समस्या होने लगती है।
गर्भावस्था में पानी की कमी से बच्चे को क्या नुकशान होते है ?
अगर शुरूआती महीनो में गर्भ में पानी (एमनॉयटिक द्रव) का स्तर कम आता है तो वह शिशु के लिए खतरे का संकेत है।
- गर्भ में पानी की कमी के कारण शिशु के फेफड़े विकसित होने में परेशानी आती है।
- शुरूआती महीनो में गर्भ में पानी की कमी होने के कारण गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है।
- अगर बहुत ज्यादा पानी की कमी हो जाती है तो मृत शिशु के जन्म का खतरा बढ़ सकता है।
- गर्भ में पानी की कमी की वजह से समय से पहले शिशु के जन्म की संभावना बढ़ सकती है।
- अगर शुरुआत से ही गर्भ में पानी कम होता है तो हो सकता है की डिलीवरी के समय गर्भनाल कुछ हद तक सुकुड़ गयी हो।
- गर्भ में कम पानी की वजह से नार्मल डिलीवरी की बजाये c-section होने की संभावना बढ़ जाती है।
प्रेगनेंसी में कितना पानी पीना चाहिए ?
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओ को पुरे दिन खूब पानी पीना चाहिए। प्रेग्नेंट महिलाओ को कम से कम 2 से 3 लीटर यानि की 8 से 10 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। हो सके तो कभी कभी में पानी में थोड़ा सा सेंधा नामक या तो निम्बू का रास निचोड़ के पीना चाहिए। पानी से सब्जिया और फलो का सेवन भी अवश्य करे। जिससे आपको पूरी प्रेगनेंसी में पानी की कमी नहीं होगी।
तो यह थी संपूर्ण जानकारी की गर्भावस्था में पानी कमी के कारण क्या है, गर्भावस्था में पानी की कमी के लक्षण क्या है, प्रेगनेंसी में पानी की कमी कैसे दूर करें और गर्भावस्था में पानी की कमी के उपाय क्या है उसके बारे में।
उम्मीद है की आपको इस जानकारी से अवश्य लाभ होगा और आप अपनी प्रेगनेंसी को अच्छे से enjoy कर सकेंगे।
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FAQs :
प्रेगनेंसी में ज्यादा पानी पीने के लिए क्या करना चाहिए?
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओ को पुरे दिन खूब पानी पीना चाहिए। प्रेग्नेंट महिलाओ को कम से कम 2 से 3 लीटर यानि की 8 से 10 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। हो सके तो कभी कभी में पानी में थोड़ा सा सेंधा नामक या तो निम्बू का रास निचोड़ के पीना चाहिए।
प्रेगनेंसी में कम पानी पीने से क्या होता है?
गर्भ में पानी की कमी के कारण शिशु के फेफड़े विकसित होने में परेशानी आती है।
शुरूआती महीनो में गर्भ में पानी की कमी होने के कारण गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है।
अगर बहुत ज्यादा पानी की कमी हो जाती है तो मृत शिशु के जन्म का खतरा बढ़ सकता है।
गर्भ में पानी की कमी की वजह से समय से पहले शिशु के जन्म की संभावना बढ़ सकती है।
प्रेगनेंसी में रोज कितना पानी पीना चाहिए?
सबसे आसान और अच्छा रास्ता है आप हरदिन पर्याप्त मात्रा में पानी पिए। आपको कम से कम 3 लीटर जितना हररोज पानी पीना ही चाहिए जिससे आप dehydration से बच सकती है।
आप हर एक घंटे में 2 गिलास पानी अवश्य पिए और हो सके तो कोई कोई बार उसमे नींबू का रास मिलाकर पिए।