Ectopic Pregnancy In Hindi – कारण, लक्षण और इलाज

Ectopic Pregnancy In Hindi- कोई भी औरत के लिए pregnant होना और माँ बनना बहुत ही सौभाग्य की बात है। क्युकी यह पल महिलाओ की जिंदगी में खुशियों की बहार लाती है और हर महिला अपनी जिंदगी में ये पल को जीना चाहती है। लेकिन pregnancy रुकने में भी कई तरह जी समस्याये आती है और उनमे से ही एक समस्या है एक्टोपिक प्रेगनेंसी (Ectopic Pregnancy in Hindi).

Ectopic Pregnancy In Hindi - कारण, लक्षण और इलाज

अब सबसे पहले ये जानते है की,

Ectopic Pregnancy In Hindi – एक्टोपिक प्रेगनेंसी क्या है?

एक्टोपिक प्रेगनेंसी (Ectopic Pregnancy) में फर्टिलायज़ अंडा (गर्भ) गर्भशय की बजाए किसी दूसरी जगह पर स्थापित हो जाता है और grow होने लगता है जिन्हे medical भाषा में Ectopic Pregnancy कहते है।

ज्यादातर केस में फर्टिलायज़ अंडा फेलोपियन ट्यूब में स्थापित हो जाता है और गर्भाशय तक पहुँचता है नहीं है। इसके अलावा abdominal और गर्भाशय ग्रीवा में जाकर जुड़ जाता है और इसे अस्थानिक गर्भावस्था भी कहते है। ज्यादातर मामलो में इस तरह का गर्भ कुछ दिनों में गर्भपात का शिकार हो जाता है और अगर गर्भ बच गया हो तो doctors की मदद से इनका गर्भपात करवा दिया जाता है। क्युकी ऐसी pregnancy abnormal मानी जाती है।

एक्टोपिक प्रेगनेंसी में अगर गर्भ फेलोपियन ट्यूब में होता है तो शुरू में ये समस्या सामान्य लगती है लेकिन जब जब गर्भ बड़ा होने लगता है तो समस्याएं भी बढ़ने लगती है। गर्भ की size बढ़ने की वजह से फेलोपियन ट्यूब के फटने का खतरा बढ़ जाता है। जिसके कारण pregnant women की जान को भी खतरा हो सकता है।

इसी लिए अगर आपको ऐसी कोई भी समस्या है तो उनका तुरंत ही इलाज करवा लेना चाहिए।

American Academy Of Family Physician के अनुसार दुनियाभर में लगभग 2% प्रेग्नेंट महिलाओ में यह समस्या पायी जाती है।

Cause of Ectopic Pregnancy – एक्टोपिक प्रेगनेंसी के कारण

Ectopic Pregnancy के कई सारे कारण हो सकते है जिसकी वजह से यह समस्या होती है।

  • अगर महिला की उम्र 35 साल से ज्यादा हो जाती है यह समस्या हो सकती है।
  • अगर आपकी प्रेगनेंसी पहले ही कोई एब्डोमिनल सर्जरी हुई है भी यह समस्या हो सकती है।
  • महिला की फेलोपियन ट्यूब में सूजन के कारण भी यह समस्या हो सकती है।
  • यदि किसी कारण या चोट की वजह से फेलोपियन ट्यूब क्षतिग्रस्त होती है तो भी एक्टोपिक प्रेगनेंसी हो सकती है।
  • यदि कोई महिला पेल्विक सूजन से पीड़ित है तो भी यह प्रेगनेंसी रुक सकती है।
  • अगर आपका बहुत बार गर्भपात हुआ है तो भी आपको एक्टोपिक प्रेगनेंसी की संभावना बढ़ जाती है।
  • hormonal imbalance के कारण भी गर्भ सही जगह नहीं पहुंच पाता है और ectopic pregnancy के chances बढ़ जाते है।
  • ज्यादा गर्भनिरोधक गोलिया खाने की वजह से भी यह समस्या हो सकती है।
  • महिलाये अगर धूम्रपान करती है तो भी उनको यह समस्या हो सकती है।

Symptoms of Ectopic Pregnancy – एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण

हर समस्या में कुछ अलग अलग symptoms (लक्षण) दिखाई देते है जिनसे हम शुरूआती stage में ही बीमारी का पता लगा सकते है।

वैसे ही ectopic pregnancy in hindi के भी कुछ सामान्य लक्षण दिखाई देते है जिनसे आपको प्रेगनेंसी में अगर कोई भी समस्या लगती है तो आपको doctor से जाँच करवाके इसके बारे में पता लग सकता है।

  • पेट ख़राब होना
  • जी मचलाना
  • हलकी ब्लीडिंग या तेज ब्लीडिंग
  • पेडू के निचले हिस्से में तेज दर्द
  • पेट में तेज ऐंठन
  • कमजोरी आना
  • धड़कन तेज होना
  • बार बार पेशाब लगना
  • पेल्विक एरिया में तेज दर्द होना

इसके अलावा भी आप काफी सारे लक्षणों को और body changes को खुद ही महसूस कर सकती है जिनसे आपको लग सकता है की आपकी प्रेगनेंसी normal नहीं है।

देखिये Dear, ectopic pregnancy कोई बहुत ही नाजुक होती है इसमें जरा सी भी लापरवाही से आपके जान को भी खतरा हो सकता है। तो अगर आपको कुछ असहज महसूस हो तो आप तुरंत ही डॉक्टर का संपर्क करे।

Treatment of Ectopic Pregnancy – एक्टोपिक प्रेगनेंसी का उपचार

Ectopic pregnancy का पता लगाना इतना आसान नहीं होता है। अगर महिला को गर्भवस्था के दौरान बार बार पेडू में दर्द हो रहा होता है तो doctors गर्भ परिक्षण के द्वारा इसका पता लगाते है।

एक्टोपिक प्रेगनेंसी के काफी सारे माध्यम उपलब्ध है। लेकिन यह गर्भ का आकार, गर्भ के समय के ऊपर निर्भर करता है। अगर महिला की प्रेगनेंसी को ज्यादा समय नहीं हुआ होता है और शुरुआती समय ही है तो उनको मैथोट्रक्सेट दिया जाता है जिनसे फैलोपियन ट्यूब को हानि पहुचाये बिना ही प्रेगनेंसी टिस्यू को निकाला जाता है।

अगर कई केस में गर्भ का size बढ़ने की वजह से फेलोपियन ट्यूब फुल जाती है और ब्लीडिंग होने लगती है तो ऐसी स्थिति में doctors सर्जरी की मदद से फेलोपियन ट्यूब को ही निकाल देते है। ऐसे में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी किया जाता है जिसमे मरीज को एनेस्थेसिया देकर बेहोश करके एक्टोपिक प्रेगनेंसी को निकाला जाता है।

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में कई बार फेलोपियन ट्यूब को सुरक्षित तरीके से बचा लिया जाता है।

लेकिन ज्यादातर केस में ectopic pregnancy के बाद normal pregnancy रहने की संभावना कम हो जाती है। इस लिए सर्जरी के बाद आप डॉक्टर से मिलकर अपनी फर्टिलिटी को बढ़ाने के लिए कोई treatment जरूर ले और अपने खान पान में बदलाव करे।

अगर आप एक healthy lifestyle जियेंगे तो आप जल्दी ही conceive कर सकती है।

एक्टोपिक प्रेगनेंसी का पता कैसे लगाए ?

एक्टोपिक प्रेगनेंसी मुख्य 3 तरीको के पता लग सकती है आइये जानते है :

  1. Blood test – रक्त परीक्षण

Blood test में ब्लड में HCG hormone के स्तर का पता लगता है। HCG hormone गर्भवस्था के दौरान उत्त्पन होता है। यदि कोई प्रेग्नेंट महिला में HCG का स्तर बहुत ज्यादा होता है तो यह ectopic pregnancy in hindi के लक्षण हो सकते है।

2. Ultrasound – अल्ट्रासाउंड

एक्टोपिक प्रेगनेंसी की जाँच करने के लिए doctor transvaginal ultrasound का सहारा लेते है। जिसमे महिला के योनि में एक डिवाइस डाला जाता है जिससे महिला के गर्भ और एक्टोपिक प्रेगनेंसी का पता लगाया जाता है।

3. Sonography – सोनोग्राफी

सोनोग्राफी की मदद से भी एक्टोपिक प्रेगनेंसी की जाँच की जाती है। अगर सोनोग्राफी में pregnancy positive आने के बाद भी गर्भ में भ्रूण दिखाई ना दे तो यह एक ectopic pregnancy हो सकती है।

तो यह थी Ectopic pregnancy in hindi (एक्टोपिक प्रेगनेंसी) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी।

उम्मीद है आपको इस आर्टिकल से अच्छी जानकारी मिली होगी।

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